खुदा का ज़िक्र करें या तुम्हारी बात करेंहमें तो इश्क़ से मतलब किसी की बात करेंफ़रिश्ते तुम भी नहीं हो फ़रिश्ते हम भी नहींहम आदमी हैं तो फ़िर आदमी की बात करेंगुलों के रंग से खुश्बू से है ग़रज़ हमकोचमन को जाएँ तो कुछ ताज़गी की बात करेंतुम्हारी बज़्म में सब रिंद भी हैं शेख़ भी हैं,पिये शराब भी नेकी बदी की बात करेंकदम कदम पे जहाँ मौत इंतिज़ार में है,बड़ा मज़ा है अगर ज़िंदगी की बात करें। // एक और बेहतरीन और बेमिसाल ग़ज़ल सर। ज़िन्दाबाद!!
बहोत ही उमदा गज़ल... सलाम
खुदा का ज़िक्र करें या तुम्हारी बात करें
ReplyDeleteहमें तो इश्क़ से मतलब किसी की बात करें
फ़रिश्ते तुम भी नहीं हो फ़रिश्ते हम भी नहीं
हम आदमी हैं तो फ़िर आदमी की बात करें
गुलों के रंग से खुश्बू से है ग़रज़ हमको
चमन को जाएँ तो कुछ ताज़गी की बात करें
तुम्हारी बज़्म में सब रिंद भी हैं शेख़ भी हैं,
पिये शराब भी नेकी बदी की बात करें
कदम कदम पे जहाँ मौत इंतिज़ार में है,
बड़ा मज़ा है अगर ज़िंदगी की बात करें। // एक और बेहतरीन और बेमिसाल ग़ज़ल सर। ज़िन्दाबाद!!
बहोत ही उमदा गज़ल... सलाम
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