Sunday, 29 June 2014

ताज़ा ग़ज़ल

एक ताज़ा ग़ज़ल तमाम दोस्तों के लिए 

               ग़ज़ल 

बज्मे-दुनिया से रस्मो-राह करें .

बेबफाओं से हम निबाह करें .

आज फुर्सत मिली है जीने की,

आज के दिन कोई गुनाह करें.

हम दीवानों का ये मुक़द्दर है,

इश्क मैं जिंदगी तबाह करें.

जो न मिल पाए हमको दुनिया मैं,

दिल ये कहता है उसकी चाह करें.

इश्क तो जैसे इक इबादत है,

इश्क करना है , बेपनाह करें.

क्यूँ  न ये कायनात हो उसकी,

आप जिसकी तरफ निगाह करें.

क्या ग़ज़ब का मिज़ाज है अपना,

रश्क बन्दे से बादशाह करें 

सूरतें वो कहाँ गईं सारी,

देख कर जिनको वाह वाह करें.

अबतो सच बोलता नहीं कोई,

सोचते हैं किसे गवाह करें.

इब्राहीम अश्क 


1 comment:

  1. ग़ज़ल

    बज्मे-दुनिया से रस्मो-राह करें .
    बेबफाओं से हम निबाह करें .
    आज फुर्सत मिली है जीने की,
    आज के दिन कोई गुनाह करें.
    हम दीवानों का ये मुक़द्दर है,
    इश्क मैं जिंदगी तबाह करें.
    जो न मिल पाए हमको दुनिया मैं,
    दिल ये कहता है उसकी चाह करें.
    इश्क तो जैसे इक इबादत है,
    इश्क करना है , बेपनाह करें.
    क्यूँ न ये कायनात हो उसकी,
    आप जिसकी तरफ निगाह करें.
    क्या ग़ज़ब का मिज़ाज है अपना,
    रश्क बन्दे से बादशाह करें
    सूरतें वो कहाँ गईं सारी,
    देख कर जिनको वाह वाह करें.
    अबतो सच बोलता नहीं कोई,
    सोचते हैं किसे गवाह करें.
    waahhhhhhhh kis she'r ko kahe har she'r laazwaab hai sir.

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