Sunday, 29 June 2014

ghazal


1 comment:

  1. खस्ता हालों का भी अंदाज़ निराला देखा, दिल में जो जख्मों के अलमास लिये फिरते हैं। जब भी अप्ने से बहुत दूर निकल जाते हैं खुद को हम जैसे तेरे पास लिए फिरते हैं। पाँव से अपने ज़मीन अपनी निकलती ही रही… सर पर गिरता हुआ आकाश लिये फिरते हैं।

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