Sunday 7 September 2014

IK WO BHI ZAMANA THA,,,,


SMILE PLZ


ABU-DHABI, KHALIFA MASJID


नजर मिलाके इशारे नज़र के देखते हैं हम आज उसकी मुहब्बत में मर के देखते हैं सुना है आँखों में उसकी चराग़ जलते हैं उजाला उनसे ज़माने में कर के देखते हैं तिलिस्म सारे जहां के हैं उसके होटों में तो अपने होंट जरा उनपे धर के देखते है। सुना है उसके बदन में गुलाब खिलते हैं अगर ये सच है तो बाहों में भर के देखते हैं। सुना है ख़ुल्द के ज़ल्वे है उसकी राहों में तो उसकी राह से हम भी गुज़र के देखते है। सुना है उसके तो रुखसार चांद सूरज हैं तो उनको प्यार से हाथों में भर के देखते हैं। सुना है वो तो मुकद्दर सँवार देता है तो उसके हाथ से हम भी सँवर के देखते हैं। वो कोई हंस है मोती ही चुनता रहता है तो आँसुओं की तरह हम बिखर के देखते हैं। वो एक बज़्मे तमन्ना सजाए रखता है तो उसकी बज़्म में हम भी ठहर के देखते हैं। ज़बाँ पे उसके हमेशा ज़बाने उर्दू है, चलो ग़ज़ल की तरह बात करके देखते हैं। अगर वो पूछे कि क्या इश्क है तुम्हें मुझसे? तो फिर उसी की तरह हम मुकर के देखते हैं। कि उसकी याद से रातें चमकने लगती हैं तो शाम ही से उसे याद करके देखते हैं। समन्दरों की तरह दिल है बेकराँ उसका तो उसके दिल में चलो हम उतर के देखते हैं। सुना है उसकी नज़र में सुरूर रहता है तो उसकी याद में हम जाम भर के देखते हैं। कोई न देख सके ताब उसके चेहरे की तमाम उम्र चलो हम ठहर के देखते हैं। सुना है इश्क़ है उसको तो जाँनिसारों से तो अपनी जान को क़ुर्बान करके देखते हैं। सुना है जान लुटाता है वो तो सजधज पर तो हम भी आज उसे बन सँवर के देखते हैं। सुना है शोख़ियाँ उसको पसंद आती हैं तो मनचलों की तरह छेड़ कर के देखते हैं। सुना है शहर में उसके कई दीवाने हैं तो अपना नाम भी हम दर्ज कर के देखते हैं। सुना है इश्क़ में सबको वो मात देता है तो हम भी हौसले अपने जिगर के देखते हैं। वो मुस्करा के जो पूछे कि प्यार है मुझसे, तो फिर उसी की तरह हम मुकर के देखते हैं। खुदा ने उसको तराशा है अपने हाथों से फ़रिश्ते इसलिए ज़ल्वे बशर के देखते हैं। सुना है उसकी नज़र में सुरूर रहता है, तो उसकी याद में हम जाम भर के देखते है॥

WAQT KE HAATH MAIN,,,,,,,


SAMUNDAR NAHIN NDEKHA TUMNE,,,,,


WO HADSE JO,,,,