Sunday 20 July 2014

BIRTHDAY PAR KHAS PESHKASH

APNE BIRTH-DAY PAR KHAS PESHKASH. HALANKE YE GHAZAL BAHUT PAHLE KAHI THI LEKIN TAKHLEEQ KI KHOOBI YAHI HAI KE WAH KABHI PURANI NAHIN HOTI. ISKA DESIGN MERE SHAGIRD-E-RASHEED CHANDRA SHEKHAR PANDE NE KIYA HAI. MULAHEZA HO MERE 63 BIRTHDAY PAR YE GHAZAL

1 comment:

  1. तिरी ज़मीं से उठेंगे तो आसमाँ होंगे,
    हम ऐसे लोग ज़माने में फिर कहाँ होंगे
    चले गए तो पुकारेगी हर सदा हमको,
    न जाने कितनी ज़बानों से हम बयाँ होंगे
    लहू लहू के सिवा कुछ न देख पाओगे,
    हमारे नक्शे क़दम इस कदर अयाँ होंगे,
    समेट लीजिए भीगे हुए हर इक पल को
    बिखर गये जो ये मोती तो राएगाँ होंगे,
    उचाट दिल का ठिकाना किसी को क्या मालूम,
    हम अपने आप से बिछुड़े तो फिर कहाँ होंगे।
    हैं अपनी मौज के बहते हुए समंदर हम
    तमाम दश्ते जुनूं में रवाँ दवाँ होंगे।
    ये बज़्मे यार है कुर्बान जाइए इस पर
    सुना है अश्क यहाँ दिल सभी जवाँ होंगे।


    बेमिसाल ग़ज़ल है सर
    जन्म दिन की हार्दिक बधाईयाँ

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